महात्मा गांधी और उनकी स्वच्छता की दृष्टि :-
महात्मा गांधी, जिन्हें "राष्ट्रपिता" कहा जाता है, मानते थे कि स्वच्छता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी आध्यात्मिकता। उनके लिए, अपने आस-पास को स्वच्छ रखना केवल सफाई नहीं, बल्कि एक अनुशासित और स्वस्थ समाज बनाने का तरीका था।
उन्होंने एक बार कहा था, "स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है।" गांधी जी का मानना था कि एक सच्चा स्वतंत्र भारत तभी संभव है जब लोग अपने वातावरण और मन दोनों को स्वच्छ रखें।
गाधी जी ने गांवों की गंदी स्थिति देखी और इसे सुधारने के लिए काम किया। उनका मानना था कि स्वच्छता की कमी बीमारियों और गरीबी का कारण बनती है। उन्होंने खुद शौचालय साफ किए, यह दिखाने के लिए कि कोई भी काम छोटा नहीं है और हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो, को अपने आस-पास को साफ रखने में मदद करनी चाहिए।
स्वच्छ भारत अभियान, जो 2014 में शुरू किया गया था, गांधी जी की दृष्टि से प्रेरित है। इसका उद्देश्य भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है, जो उनके सपने को पूरा करता है।
गांधी जी की स्वच्छता की सोच केवल शारीरिक नहीं थी, बल्कि मन और आत्मा को भी स्वच्छ रखनेकी थी। उनकी शिक्षाएँ हमें याद दिलाती हैं कि स्वच्छता एक बेहतर, समान और स्वस्थ समाज के लिए जरूरी है।
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