धनतेरस का पर्व, जो दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे "धन त्रयोदशी" या "धन्वंतरि त्रयोदशी" के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को धन, स्वास्थ्य, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, और इसे विशेष रूप से नए सामानों, आभूषणों और धातुओं की खरीददारी के लिए शुभ माना जाता है।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस के पीछे कई पौराणिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस के दिन उन्हें धन और स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। साथ ही, यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी आराधना का दिन है, जो धन और वैभव के स्वामी माने जाते हैं।
धनतेरस पर पूजन विधि
धनतेरस पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और प्रवेश द्वार पर रंगोली सजाते हैं। घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाकर सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। पूजा में हल्दी, चावल, फूल, और दीपक का विशेष स्थान होता है। पूजा के दौरान लक्ष्मी माता से घर में धन, सुख-शांति और समृद्धि की कामना की जाती है।
धनतेरस पर खरीददारी का महत्व
धनतेरस पर सोना, चांदी, पीतल और स्टील से बने बर्तन या गहने खरीदने की परंपरा है। माना जाता है कि इस दिन धातु खरीदने से लक्ष्मी का वास होता है, और यह भविष्य में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह खरीदारी न केवल घर में शुभता लाती है, बल्कि इसे आर्थिक स्थिरता का प्रतीक भी माना जाता है।
धनतेरस और आरोग्य
धनतेरस केवल धन का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवन का भी प्रतीक है। भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा और स्वास्थ्य का जनक माना जाता है। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य की रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है। इस दिन कुछ लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने का संकल्प लेते हैं और अपनी जीवनशैली में सुधार की योजना बनाते हैं।
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